संदेश

जुलाई, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

GST: देर आए पर क्या दुरुस्त भी?

चित्र
15  अगस्त 1947 को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने देश की आज़ादी का ऐलान आधी रात को संसद में किया था . ऐसा मौक़ा फिर तो आएगा नहीं , सो बीजेपी ने GST बिल पास करते हुए ही अपना वो शौक पूरा कर लिया . ये कोई ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक नहीं था . देवगौड़ा सरकार ने 1996 में महिला आरक्षण विधेयक इंट्रोड्यूस किया था , 2010 में ये राज्य सभा में पास हुआ . लेकिन तीन दशक होने को हैं , ये विधेयक लोक सभा में टेबल तक नहीं हो पाया है . लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं की 33% यानी एक तिहाई भागदारी पक्की करने वाला ये विधेयक पास हो पाता तो समझ में आता मौक़ा ऐतिहासिक है .  लेकिन GST में क्या ऐतिहासिक है ? जिस देश की साठ फ़ीसद से ज़्यादा बड़ी आबादी के पास शौचालय की सुविधा नहीं है , उसे इस बात से क्या मतलब कि टॉयलेट पेपर पर कितना टैक्स लगेगा और दुकान पर वो उन्हें कितने में मिलेगा .  हमारा देश भले ही सामाजिक ‘हताशा’ के दौर से गुज़र रहा हो, पर न्यूज़ मीडिया की मानें तो आर्थिक