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तबलीगी जमात और भारत-चीन झड़प की ख़बरों के बीच आत्ममंथन की घड़ी

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ज़रा सोचिए. चीन और भारत के बीच हुई हालिया झड़प का ही मामला ले लीजिए. कई पत्रकार जो बिके हुए नहीं है, वे मई महीने की शुरुआत से ही यह ख़बर दे रहे थे कि चीन पूरे लाव-लश्कर के साथ भारतीय हिस्से में घुसपैठ कर रहा है, लेकिन सरकार ने उनकी बातों को कोई तवज्जो नहीं दी. जब झड़प हुई तब भी सरकार ने मुँह बंद रखा. लेकिन भला मौतों को कौन छिपा सकता है. जब 20 जवान मर गए तो सरकार ने कहा कि मारते-मारते मरे, और वह भी बात दो दिन के बाद कही गई. साथ ही यह भी कहा कि चीन हमारे इलाके में नहीं घुसा. तो क्या सरकार ये कह रही है कि भारत के जवान चीन के इलाके में घुस गए थे इसलिए मारे गए???  सोचिए और खुद से सवाल कीजिए कि क्या प्रधानमंत्री भारतीय सेना को ही गुनहगार ठहरा रहे हैं??? बिहार में चुनाव होने वाले हैं, तो प्रधानमंत्री ने सेना को भी रेजिमेंट में बाँट दिया और बड़ी बेशर्मी से यह गिनती गिनाई कि बिहार के कितने जवान शहीद हुए, बिहार रेजिमेंट के कितने जवान शहीद हुए. क्या आपको लगता है कि अगर बिहार में चुनाव नहीं होने वाले होते तो इस शहादत को बिहार से जोड़ा जाता?? यह एक मक्कार सरकार है, जो बस आपकी आँखों में धूल झोंकना चाहती