संदेश

नवंबर, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ये जवाहरलाल नेहरू थे जिन्होंने भारतीय सेना को पाकिस्तान-सा नहीं बनने दिया

चित्र
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की विरासत पर अक्सर दो चीज़ों को लेकर तोहमत लगाई जाती है. एक है कश्मीर मुद्दा और दूसरा चीन से भारत को मिली करारी शिकस्त. हाल के सालों में भी बार-बार नेहरू की इन दो कथित नाकामियों पर ज़रूरत से ज़्यादा ज़ोर देकर ये बात स्थापित करने की कोशिश की गई है कि नेहरू ने सेना को वो अहमियत नहीं दी जो दी जानी चाहिए. इंडियन एक्सप्रेस के एक आलेख में एक पूर्व सेनाधिकारी सुशांत सिंह ने सीधे तौर पर इसे सच से कोसों दूर तो बताया ही है, साथ ही उन्होंने कहा है कि इतिहास में नेहरू को ज़्यादा ही उदार बताने के चक्कर में उनकी जो कट्टर युद्धविरोधी छवि पेश की गई है, उससे भी नेहरू को लेकर एक गुमराह करने वाला नज़रिया पैदा हुआ है. सेना के नाम पर राष्ट्रवाद और देशभक्ति की कथित राजनीति करने वालों को ये नहीं भूलना चाहिए कि ये नेहरू ही थे जिन्होंने सेना पर सिविल अथॉरिटी की मज़बूत पकड़ और नियंत्रण की बुनियाद रखी. वरना आज भारत भी उन देशों की सूची में शुमार होता जहां सिविल प्रशासन बस दिखावा है और सेना के पास असली ताक़त है. नज़ीर के तौर पर हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान. ये नेहरू ही थे जिन्होंने