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स्याह सुनसान रातें, और कुछ ग़मनाक़ बातें

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किसी की कविता का अनुवाद तब तक ईमानदार नहीं माना जाना चाहिए जब तक आप ख़ुद कवि से मिले न हों, जाना न हो कि हर पंक्ति को लिखते हुए उनके दिल और ज़हन में क्या चल रहा था. पाब्लो नेरुदा की कविता टुनाईट आई कैन राइट द सैडेस्ट लाइंस का ये अनुवाद मैंने ही किया है, पर इसे अनुवाद से ज़्यादा मैं ये मानूंगा कि उनकी कविता को मैं कितना समझ पाया. पढ़ें और वक़्त हो तो अपनी राय भी दें.     आज की रात, मैं लिख सकता हूँ सबसे ग़मनाक़ बातें, कि किस क़दर टूटकर चूर हो चुकी हैं ये रातें, कि दूर झिलमिलाते तारे किस तरह ठिठुरकर कांपते हैं. कि सर्द हवा आसमान में गोते लगाती है  और कोई दर्दज़दा गीत गाती है. आज की रात, मैं लिख सकता हूँ सबसे ग़मनाक़ बातें, कि उससे मुझको प्यार था, कभी-कभार उसको भी था मुझसे. ऐसी ही कई रातों को, इन्हीं बांहों में, समेटकर रखा था उसे, जब ख़त्म होता ही नहीं था मेरा चूमना उसको, न ख़त्म होने वाले आसमां के तले. उसे भी मुझसे मोहब्बत थी कभी-कभी ही सही, और मुझको भी उससे. उन तिलस्मी ठहरी हुई आँखों में बिना उतरे कोई रहे भी तो कैसे. आज की रात, मैं लिख सकता हूँ सबसे ग़मनाक़ बातें, ये एह