किसान आंदोलन और CAA विरोधी आंदोलन का फ़र्क़
बात ये नहीं है कि तीनों क़ानून सही थे या ग़लत . कृषि का ककहरा तक न समझने वाले एक इंसान के तौर पर यह राय बना पाना मेरे लिए मुश्किल था . मेरे लिए मामला बस इतना था कि सरकार कुछ क़ानून लेकर आई है और उनसे प्रभावित समुदाय का एक तबका उनका विरोध कर रहा है . विरोध तो अधिकार है . हमारे देश में एक नया कल्चर शुरू हो गया है . अब विरोध के ख़िलाफ़ भी विरोध होने शुरू हो गए हैं . आपको याद होगा कि CAA प्रोटेस्ट के ख़िलाफ़ कैसे जगह - जगह विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे . विरोध के बदले विरोध सिर्फ़ एक ही संदेश देता है कि जनता बँटी हुई है . जनता का बँटा होना शासकों - प्रशासकों के लिए ऐतिहासिक रूप से सुविधाजनक रहा है , लेकिन ऐसे विभाजनों के साथ एक मज़बूत लोकतंत्र की कल्पना कर पाना मुश्किल है . किसी क़ानून से समुदाय विशेष के लोगों को अगर