कुछ क्रिकेट की, कुछ किसान की
3-2 से भारत ने इंग्लैंड को जो धोबीपछाड़ मारा है, उसका ख़ौफ़ अंग्रेज़ों को लंबे वक़्त तक रहने वाला है. आखिरी मैच में तो रोहित शर्मा और कोहली ने सलामी जोड़ी के तौर पर जो कलाकारी दिखाई है, उससे तो कई और टीमों के माथे पर बल पड़ गए होंगे. जब इस सफ़र का आग़ाज़ टेस्ट सीरीज़ के साथ हुआ था, तब सचिन तेंदुलकर से लेकर विराट कोहली, रोहित शर्मा और अजिंक्य रहाणे तक ने दिल को एक चोट पहुँचाई थी. जब वे बाक़ी हर चीज़ में एपोलिटिकल रहते हैं, तो एक चिंदी-सी बात पर उन्हें एकदम से कुछ दूसरे ज्ञात चाटूकारों के साथ सुर में सुर मिलाकर ट्वीट करने की ज़रूरत क्यों पड़ी. किसी का एक खुले मंच पर किसी के पक्ष या विरोध में कुछ कह देना कोई इंटरनेशनल साज़िश कैसे हो सकती है? साज़िश का तो मतलब ही यही होता है न कि किसी के पीठ पीछे किसी को नुक़सान पहुँचाने, फँसाने आदि के इरादे से प्लानिंग करना. अगर हम ग्लोबल होने की होड़ में हैं, तो आंदोलनों को भी ग्लोबल सपोर्ट मिलेगा. यह कोई हाय-तौबा मचाने वाली चीज़ नहीं है. बहरहाल, क्रिकेट फ़ैन तो फिर भी हूँ. मैच देखना फिर भी पसंद है. मुँह पर रहता था कि ट्वीट करने वाला एक भी बैट्समैन न चले, ल...